हिरणपुर अंचल क्षेत्र के लीज धारक के द्वारा करोड़ों,अरबों का पत्थर निकाल लिया गया,और पीछे छोड़ दिया आफत के रूप में जगह जगह खड्डा।
सीतपहाड़ी,महरों, बलियाडांगा,हिरणपुर का हाथीगढ़, मानसिंह पुर,लीज धारक एवं क्रेशर मालिक के द्वारा अवैध परिवहन को दिया जा रहा है बढ़ावा।
हिरणपुर थाना क्षेत्र से होकर मुफस्सिल थाना क्षेत्र में प्रवेश करते है अवैध परिवहन करनें को ट्रैक्टर और ट्रक।
रिपोर्ट- अविनाश मंडल
पाकुड़। पत्थर व्यवसाई ने खुद की महल तो बना ली और पत्थर खदानों को खुले आम छोड़ दिया गरीबों को मरने के लिए,आए दिन इन कुछ न कुछ घटना होती रहती है,ग्रामीणों के मवेशी कभी गिर जाते है तो कभी बंद पड़े खदानों पर नहाने के दौरान इंसान डूब कर मर जाते है ऐसी कई घटना हो चुकी है,जिन खदानों को पत्थर उत्खनन के बाद भरकर जाना था, उसे यूं ही छोड़ दिया गया। पत्थर खदानों को भरकर खेती के लायक बनाना था। ताकि रैयत उस पर खेती-बाड़ी कर जीवन यापन कर सकें।
लेकिन पत्थर माफियाओं को सिर्फ अपने महल बनाने से मकसद था, उन्हें रैयत या आसपास रह रहे ग्रामीणों से कोई वास्ता नहीं था। इसलिए पत्थर खदानों को खाली छोड़ दिया गया। यहां बात हो रही है,पूरे हिरणपुर अंचल क्षेत्र के पत्थर उद्योग की, जहां एक बार नजर दौड़ाएंगे तो पत्थर माफियाओं की करतूतें दिख जाएंगे।
बड़े पैमाने पर सीतपहाड़ी, महरो, भंडारों, हाथीगड़ इलाके में पत्थर का दोहन दिन रात किया जा रहा है, कई खदान सड़क किनारे तो कई खदान ग्राम के बिलकुल समीप लगी हुई और पत्थर का उत्खनन जोरो पर, कई पत्थर माफियाओं ने लीज एरिया से हटकर पत्थर उत्खनन कर ग्रामीण सड़क, सिंचाई के काम आने वाले केनाल को भी लगभग खत्म कर दिया है सिर्फ और सिर्फ अपने हित के लिए,इन्ही पत्थर खदान से आने वाले राजस्व से सीएसआर का मद भी निकलता है लेकिन कितने पत्थर व्यवसाई ने अपने ग्रामीण क्षेत्रों पर सोशल वर्क किया है सीएसआर के मद से,लेकिन कोई फायदा उठाना भी जनता है सीएसआर के मद का रूपया खर्च कर समाजसेवी बन जाता है,एनजीटी और पॉल्यूशन विभाग की कई गाइड लाइन है खदान और क्रेशर मशीन प्लांट के लिए,नियमों को मान कर चला जाए तो व्यवसाई और ग्रामीण सब खुश रहेंगे लेकिन ऐसा होता कहां है।
पत्थर माफियाओं ने विशेष कर सीतपहाड़ी, माहरो,भंडारों मानसिंह पुर का जो हाल किया है देखने लायक है। शहर के एक बड़े पत्थर व्यवसाई और चर्चित चेहरे ने यहां खदानों से पत्थर उत्खनन कर ग्रामीण सड़क को भी लगभग खत्म कर दिया है। लोगों में चर्चा है कि जिस समय पत्थर माफिया नियम कानून को धता बताकर लीज से हटकर सरकारी सड़क, जमीन, गांव को उजाड़ रहे थे, उस दौरान लोग जागरुक नहीं थे। प्रशासन के लोग भी कार्रवाई नहीं करते थे।
यहीं वजह है कि आज हिरणपुर अंचल क्षेत्र पत्थर उद्योग क्षेत्र में सैंकड़ों गड्ढे ही नजर आते है, जिन्हें पत्थर निकालने के बाद भरा नहीं गया। आज वो खदानें लोगों की जिंदगियां लील रही है। लोग डर के साए में जीने को मजबूर हो रहे हैं।
आज भी सड़क किनारे किया जा रहा है पत्थर खनन,हिरणपुर अंचल क्षेत्र और मुफस्सिल थाना कालिदास पुर, मानसिंह पुर, महारो, भंडारो, सीतपहाड़ी, हाथीगढ क्षेत्र में जोरो पर है खनन और क्रेशर का प्रोडक्शन, सीटीओ से जायदा का पत्थर निकाल गाड़ियों के सहारे अवैध परिवहन को दे रहे बढ़ावा दे रहे खनन और क्रेशर मालिक।
मालपहाड़ी थाना क्षेत्र पीपलजोड़ी मैं पत्थर माफियाओं ने तो अनावादी जमीन 6 बीघा 16 कट्टा सरकारी सड़क का ही अवैध खनन कर अपने खनन क्षेत्र में मिला लिया,ग्रामीण सड़क जो पीपलजोडी से बासमाता तक जाती है,खनन माफिया के द्वारा सड़क को ही खत्म कर दिया, नक्शे में तो सड़क है लेकिन वास्तविक जगह पर सड़क गायब है, पीपलजोडी गांव के व्यक्ति जिन्होंने अपने मंगल विकास के लिए सरकारी रास्ता का अतिक्रमण किया,और इनका साथ अगल बगल वाले लीज धारक ने खूब दिया।
कलिदासपुर से महारो मोड़ तक न बाउंड्री वॉल न ही टीन घेराबंदी, न ही पेड़ पौधे,और न ही पानी इस क्षेत्र के क्रेशर बयां कर रहे अपनी एक अलग ही कहानी।